वैष्वीकरण के युग में भारतीय पत्रकारिता का योगदान
डॉ. कुबेर सिंह गुरूपंच
प्राध्यापक एवं अधिष्ठाता, भारती वि.वि. दुर्ग (छ.ग.)
*Corresponding Author E-mail:
ABSTRACT:
प्रस्तावना:- आज भारतीय पत्रकारिता का महत्वपूर्ण योगदान है। अध्ययन का मुख्य उद्ेदष्य वैष्वीकरण द्वितीयक स्त्रोतों पर आधारित है। इसमें विभिन्न राज्यों में प्रेस क्लब में हिन्दी पत्रकारिता की दषा एवं दिषा पर प्रकाष डालते हुए विभिन्न परिस्थितियों पर चर्चा की आषा है। भारतीय लोकतंत्र में पत्रकारिता पर पूंजीवाद हावी हो रहा है। पत्रकारिता को निजी स्वार्थों के लिए इस्तेमाल कर रहे लोगों के चंगुल से बाहर निकालने की चुनौती है। वैष्वीकरण के युग में हिन्दी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। वैष्वीकरण ने सम्पूर्ण संसार को एक परिवार में परिवर्तित कर दिया है। वैष्वीकरण का व्यापक प्रभाव मीडिया, साहित्य, संस्कृति, कला और भाषा पर व्यापक स्तर पर पड़ रहा है। हिन्दी भाषा पर इसका प्रभाव स्पष्ट रूप से परिलक्षित किया जा सकता है। विष्व के 93 देषों में अपना स्थान बना चुकी है। आज का युग कम्प्यूटर और मीडिया का युग है। जैसे-जैसे इनका विकास होगा वैसा ही हिन्दी की प्रगति पथ पर अग्रसर होगी। आज हम देखते हैं कि भारत में ही नहीं विष्व में अनेक टी.वी. चैनल हिन्दी में अपन कार्यक्रम प्रसारित कर रहे हैं।
KEYWORDS: भारतीय पत्रकारिता -
INTRODUCTION:
वैष्वीकरण का अर्थ-सम्पूर्ण विष्व में स्थित मनुष्य जाति का अपने क्षेत्र जाति, धर्म, संस्कृति तथा राष्ट्र के सीमित दायरे से निकलकर विष्वमानक के रूप में विस्तार/वैष्वीकरण का आरम्भ 20वीं शदी के उत्तरार्ध में हुआ।वैष्विक स्तर पर हुए परिवर्तन बता रहे है कि सब कुछ बदल गया है। डंकल, पेटेंट, मुफ्त व्यापर, केवल संस्कृति, इंटरनेट, ईमेल, चैटिंग एस.एम.एस. डिजीटल कैमरे और अन्तराष्ट्रीय कम्पनियां, भारतीय बाजार को केन्द्र में रखते हुए हिन्दी पत्रकारिता को हाथों-हाथ अपना रही है। मनुष्य को अपने विचारों को आदान-प्रदान की शक्ति ईष्वर से प्राप्त हुआ है। आज वैज्ञानिक तरक्की और प्रगति के कारण ही संचार के क्षेत्र में ई-मेल, इंटरनेट, फेसबुक, ट्वीटर, वेबसाईट, ब्लॉग, व्हाट्सअप आदि का विकास हुआ है। सूचना और प्रौद्योगिकी के विकास के कारण ही वैष्वीकरण के क्षेत्र में काफी तेजी आई है।
संसार के अनेक देषों में करोड़ों भारतीय लोग रहते है जो अपनी संस्कृति,धर्म, आदि की अस्मिता की रक्षा के लिए हिन्दी पत्रकारिता का प्रयोग करते है। इसमें कुछ देषों में हिन्दी भाषा में समाचार पत्र प्रकाषित होते हैं और कुछ देषों में तो टी.वी. चैनलों पर हिन्दी भाषा में कार्यक्रम प्रसारित हो रहे हैं इसे पत्रकारिता के क्षेत्र में विषिष्ट पहचान बनी है। एक प्रसिद्ध कहावत है - अच्छी चीजों को हमेषा ग्रहण करना चाहिए और बुरी चीजों को हमेषा छोड़ देना चाहिए। भारतीय मीडिया के परिप्रेक्ष्य में यह कहावत कुछ अलग अर्थ लिए हुए है। वर्तमान दौर में भारतीय मीडिया खासकर प्रसारण मीडिया पष्चिमी और यूरोपीय देषों की अनुसरण कर रहा है। यह एक चिन्ताजनक स्थिति है। जिस पर समय नियत्रंण पाना बेहद जरूरी है। वर्तमान मीडिया डिजीटल प्लेटफार्म की तरफ बढ़ रहा है जैसे-जैसे खबरों की सीमाएं सिमटते जा रही है वैष्वीकरण के दौर में इन्टरनेट में प्रसारण पत्रकारिता को समुह करने का कार्य किया है। यही कारण है कि अब पारम्परिक मीडिया के साथ-साथ डिजीटल मीडिया ने लोगों के बीच पैठ बढ़ाया है।
उद्देष्य:-
1. भारतीय प्रसारण मीडिया की वर्तमान स्थिति का अध्ययन करना।
2. प्रसारण मीडिया में वैष्वीकरण का सकारात्मक एवं नकारात्मक पक्ष का अध्ययन करना।
3. वैष्वीकरण से प्रसारण मीडिया में आये बदलावों का विष्लेषात्मक अध्ययन करना।
4. पत्रकारिता के प्रकार एवं महत्व की विष्लेषण करना
शोध प्रविधि:-
प्रस्तुत शोध अध्ययन भारतीय मीडिया में वैष्वीकरण और बाजारवाद एव आधारित है। इसको पूर्ण करने के लिए प्राथमिक एवं द्वितीयक तथ्यों का प्रयोग किया गया है। इसमें ऑनलाईन रिपोर्ट में जर्नल्स, पुस्तके समाचार पत्र, पत्रिकाओं का अध्ययन किया गया है। प्राथ्मिक स्त्रोतो में महत्वपूर्ण समाचार पत्रों के संपादक और (पत्रकारों से साक्षात्कार लिया गया है।)
मीडिया में वैष्वीकरण:-मीडिया को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहा जाता है। कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपाािलका के बाद इनका नम्बर आता है और आम आदमी पांचवा स्तम्भ है। आधुनिक भारत में 1991 की उदारीकरण और खुले बाजार की नीति सामने आई। इस नीति का उद्देष्य न केवल अर्थव्यवस्था को स्रदृढ़ बनाना था बल्कि वैष्विक स्पर पर भारत को आर्थिक रूप से खड़ा करना था। इसके बाद विदेषी कम्पनिया आई और देष में टी.वी. मीडिया स्थापित हो गई निसका उद्देष्य एक नई सामाजिक, राजनीतिक तथा सांस्कृतिक परिवेष का निर्माण करना था लेकिन जनसंचार माध्यम में इनका नकारात्मक प्रभाव पड़ा मीडिया जाने-अन्जाने अष्लीलता, आंतकवाद, पृथकवाद, साम्प्रदायिकता आदि को बढ़ावा दे रहा है। अतः भारतीय मीडिया पर वैष्वीकरण का प्रभाव पड़ा है। भूमंडलीकरण, उदारीकरण के कारण समाज, साहित्य और संस्कृति को बर्बाद करने का प्रयास किया जा रहा है।
वैष्वीकरण का संस्कृति पर प्रभाव:-
वैष्वीकरण के कारण सभी देष एक दूसरे से आर्थिक राजनीतिक और सांस्कृतिक रूप से जुड़े हैं इस प्रक्रिया में कुछ सकारात्मक एवं नकारात्मक प्रभाव विभिन क्षेत्रों में पड़े हैं। भारतीय समाज पष्चिमी समाज तथा संस्कृतिया को आत्मसात किया है महिलाओं की स्वतंत्रता हेतु पहल का गई ई रूढिवाद का विरोध हुआ है। षिक्षा, आर्थिक, सामाजिक रूप से बदलाव लाए है। षिक्षा में शहरीकरण, जनजागरूकता, संसाधनों की पहुंच में वृद्धि हुआ है। आज पढ़ाई का उद्ेदष्य धन कमाना हो गया है। वहीं वैष्वीकरण ने सांस्कृतिक समरूपता की दिषा में कार्य किया है। जिसकी वजह से स्थानिक (स्थानीय) संस्कृतियों को खतरा पहुंचा है।
प्रत्रकारिता से आषय:- देष विदेष में बटने वाली घटनाओं को संकलित करके उन्हें समाचार के रूप में संपादित करने की विधा को पत्रकारिता कहते हैं।
पत्रकारिता के विविध आयाम:- किन्हीं विचार, टिप्पणी, फोटों, संपादकीय लेख, फोटो, कार्टून आदि को छापना पत्रकारिता के अन्तर्गत आता है।
प्रमुख आयाम:- संपादकीय, फोटो पत्रकारिता, कार्टू कोना, रेखांकन और फोटोग्राफ
पत्रकारिता का मूल तत्व:- नई सूचनाएं प्रदान करना।
पत्रकारिता के प्रकार:- खोजपरक पत्रकारिता, विषेषीकृत, वॉचडॉग पत्रकारिता, एडवोकेसी पत्रकारिता, वैकल्पिक पत्रकारिता, पीत पत्रकारिता।
फोटो पत्रकारिता का महत्व:- समाचार से संबंधित फोटो प्रकाषित होने से समाचार की प्रमाणिकता और संप्रेषणीयता बढ़ जाती है। फोटो पत्रकारिता का प्रयोग ऐतिहासिक महत्व की इमारतें, प्राकृतिक दृष्यों अथवा पशु पक्षियों आदि से संबंध विचारों के प्रस्तुतीकरण के लिए किया जाता है।
विशेषीकृत पत्रकारिता:- किसी क्षेत्र विषेष की गहन जानकारी देना और विष्लेषण करना विषेषीकृत पत्रकारिता के अन्तर्गत आता है जिससे क्षेत्र विषेष के संबंध में व्यापक ज्ञान प्राप्त करना सरल हो जाता है।
खोजपरक पत्रकारिता:- खोजपरक पत्रकारिता का अर्थ जिसमें सूचनाओं को सामने लाने के लिए उन तथ्यों की गहराई से छानबीन की जाती है। जिन्हें संबंधित पक्ष द्वारा दबाने का प्रयास किया जा रहा है।
वाचडॉग पत्रकारिता:- इस पत्रकारिता की मुख्य भूमिका सरकार और जनता के बीच तालमेल बनाना है। जनता की आवाज सरकार तक पहुंचाने की सषक्त माध्यम आज मीडिया ही है।
पीत-पत्रकारिता:- सनसनी, चकाचौधया ग्लैमर फैलाने वाली पत्रकारिता को पीत-पत्रकारिता या पेज थ्री पत्रकारिता कहा जाता है।
वैकल्पिक पत्रकारिता:- जो पत्रकारिता स्थापित व्यवस्था के विकल्प को सामने लाने और उसके अनुकूल सोच की अभिव्यक्ति करती है उसे वैकल्पिक पत्रकारिता कहते हैं। इस तरह की मीडिया को प्रायः सरकार एवं बड़ी पूंजी का समर्थन हासिल नहीं होता। यह पाठकों के सहयोग पर निर्भन करता है।
इन्टरनेट पत्रकारिता:- आज कम्प्यूटर की सहायता से इंटरनेट पर समाचार प्रकाषित किये जाते हैं। रीडिफ भारत की पहली साइट है जो इन्टरनेट पत्रकारिता कर रही है।
फ्री लांसर पत्रकारिता:- फ्री लांसर पत्रकारिता किसी पत्र या पत्रिका में नौकरी नहीं करता बल्कि यह किसी भी समाचार पत्र को लिखकर प्राप्त करता है।
फ्लेष या ब्रंेकिग न्यूज:- टेलीविजन पर जब कोई बड़ी खबर कम से कम शब्दों में केवल सूचना के रूप में तत्काल दर्षकों तक पहंुचाई जाती है तो वह फ्लैष या ब्रेकिंगन्यूज कहलाती है।
निष्कर्ष:-
पत्रकार को इस बात का अध्ययन रखना चाहिए कि वह एक वृहत् समुदाय के लिए लिख रहा है जिसमें विद्धवान से लेकर कम पढ़े लिखे मजदूर तथा किसान सभी शामिल होते हैं इस कारण पत्रकारों की लेखन शैली सहज, सरल तथा रौचक होनी चाहिए जो आसानी से सबकी समझ में आ जाए।
संदर्भ सूची:-
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Received on 23.04.2024 Modified on 07.05.2024 Accepted on 17.05.2024 © A&V Publication all right reserved Int. J. Rev. and Res. Social Sci. 2024; 12(2):107-110. DOI: 10.52711/2454-2687.2024.00018 |